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संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)

पौलमी रॉयचौधुरी
18/07/2022

मई,2014 में भारतीय संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माँग की थी कि राजनेताओं को चाहिए कि वे महिलाओं और बच्चों को हिंसा से बचाने के लिए एकजुट होकर काम करें. मोदी ने स्वाधीनता दिवस के अपने पहले संबोधन में भी इसी संदेश को दोहराया था और अपने बच्चों को अनुशासित न रख पाने के लिए उनके माता-पिता की आलोचना की थी. सन् 2014 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा शासित राज्यों में सड़कों पर होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए विशेष पुलिस दल तैनात किये गए थे. सड़क पर होने वाले उत्पीड़न पर ही पुलिसिंग क्यों ?

निखिल मेनन
05/07/2022

भारत में हिंदू राष्ट्रवाद का उदय हो रहा है; इसका अनुशासन आम माफ़ी से उत्पन्न अहंकार से मेल खाता है. इसकी जीत क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर होती रही है और इसकी गूँज नागरिकों के माध्यम से सुनाई देती है. नागरिकता संशोधन अधिनियम के साथ-साथ अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मंदिर के निर्माण की शुरुआत होने जा रही है, जहाँ पहले मस्जिद थी. लेकिन तब से लेकर अब तक कई ऐसी बातें सामने आई हैं, जिनके बहाने देश भर में इस राजनीतिक विचारधारा का प्रसार किया जा रहा है.

ऐर्न्ट माइकल
20/06/2022

एक लंबे समय से भारत की गणना सबसे अधिक आबादी वाले देशों में होती रही है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने लोकतांत्रिक संघर्ष से जूझते अनेक देशों की मदद करने में अग्रणी भूमिका भी निभायी है. यह मदद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय पहल के रूप में और खास तौर पर आर्थिक विकास से जुड़ी परियोजनाओं के रूप में दी गई. फिर भी, युक्रेन पर रूसी हमले और (अस्थायी सदस्य के रूप में) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके व्यवहार के कारण लोकतंत्र के समर्थन में उसकी भूमिका पर संदेह होने लगता है.

ए.कलैयारासन
06/06/2022

विरोध प्रदर्शन करने वाले भारतीय किसानों के प्रतिनिधि छत्र संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के 15 महीने तक दिल्ली की सीमा पर तीन किसान कानूनों के विरुद्ध चलने वाले आंदोलन को खत्म हुए छह महीने से अधिक समय हो गया है. उनकी कुछ माँगें तो मान ली गयी हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी से संबंधित कुछ माँगें अभी अधर में लटकी हैं. इन गतिविधियों से लंबे समय से अटकी हुई भारत की कृषि संबंधी आर्थिक समस्याएँ अभी तक हल नहीं हो पाई हैं.

उषा राव
23/05/2022

सन् 2008 में मैट्रो की पहली लाइन बैंगलोर में अनिश्चय के वातावरण में एक अंतहीन प्रक्रिया के साथ शुरू हुई थी. जब भी कोई लाइन जोड़ी जाती है तो वहाँ कई स्थान और लैंडमार्क गायब हो जाते हैं और मलबे, उखड़े हुए पेड़ों के ठूँठ और रास्ते में टूटी-फूटी जगहें दिखाई देती हैं. न तो विरोध प्रदर्शन बंद होते हैं और न ही मैट्रो का काम बंद होता है. मैट्रो शहर-भर से गुज़रती है, लेकिन इसमें बैठे हुए यात्रियों का ध्यान इस जीवंत शहर की बनावट और रंगों पर नहीं जाता. इसकी काँच की ट्यूब के अंदर से आप बाहर दूर-दूर तक देख सकते हैं.

विंदु माई छोटानी
09/05/2022

इस वर्ष भारत और जापान के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ है. इन वर्षों में, यह द्विपक्षीय भागीदारी लगातार आगे बढ़ी है, नई दिल्ली और टोक्यो 2015 में "विशेष रणनीतिक और वैश्विक" भागीदार बन गए हैं. परंतु, अमरीका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के साथ, इस क्षेत्र को तेज़ी से बदलते शक्ति-संतुलन की गतिशीलता के कारण क्षीण होने का जोखिम सताने लगा है. यदि भारत और जापान को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाने का प्रयास करना है तो उन्हें इस संदर्भ में मुख्य भूमिका निभानी होगी और इसके लिए ज़रूरी है कि वे अपने सुरक्षा संबंधों को मज़बूत बनाएँ.

कर्नल विवेक चड्ढा
25/04/2022

अपने दूसरे कार्यकाल के आरंभ में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा सुधारों के लिए एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की शुरुआत की है. चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (CDS) का पद सृजित करके सरकार मौजूदा दौर में भारतीय सेना में स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा परिवर्तन कर रही है. इसके पहले पदाधिकारी दिवंगत जनरल बिपिन रावत थे. इस पहल के इर्दगिर्द ही सशस्त्र सेनाओं के एकीकरण पर बहस केंद्रित है. एकीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सेना, वायुसेना और नौसेना एकल सेवा के अपने मौजूदा दृष्टिकोण को छोड़कर एक संयुक्त दृष्टिकोण को अपना रही है.

अवली वर्मा
11/04/2022

2018 में, अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से नई कनेक्टिविटी की भारत-नेपाल की घोषणा के बाद, मैंने यह समझने के लिए कि नदियों पर जलमार्ग विशेष रूप से बिहार में गंगा के साथ-साथ कोसी और गंडक जैसे राष्ट्रीय जलमार्ग, जिन्हें भारत के प्रस्तावित जलमार्गों में विकास के लिए प्राथमिकता दी गयी थी, कैसे विकसित किए जाते हैं, मंथन अध्ययन केंद्र फ़ील्ड टीम के साथ बिहार और नेपाल का दौरा किया.

रितोढ़ी चक्रवर्ती
28/03/2022

उत्तराखंड में, भूमि का मुद्दा एक राजनीतिक ज्वलनबिंदु है. राज्य की विधानसभा में 2018 में एक ऐसा विवादास्पद विधेयक पेश किया गया था, जिसके पारित होने के बाद बाहरी लोगों को इस हिमालयी राज्य में जमीन खरीदने की अनुमति मिल जाएगी. 2018 में लागू इस कानून के बारे में मैंने निम्न जाति के भीम नाम के एक उम्रदराज़ व्यक्ति से उसकी राय जाननी चाही. हम प्रखंड विकास अधिकारी (BDO) के कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में बैठे हुए चर्चा कर रहे थे. यह कार्यालय किसानों से अपने खेतों में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए राज्य सरकार की मदद से सब्सिडी देकर पीवी पैनल लगाने का अनुरोध कर रहा था.

मेघना मेहता
14/03/2022

जैसे-जैसे बंगाल की खाड़ी में बार-बार चक्रवात आते हैं, खारे पानी के प्रवेश से तबाह हुए गाँव झींगा मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ाने में रुचि रखने वाले निजी व्यवसायियों के लिए आकर्षक स्थल बनते जा रहे हैं.